हिंदी व्याकरण: संज्ञा प्रकार परिभाषा Noun| Sangya Hindi Grammar

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   आज हम हिन्दी के व्याकरण विभाग संज्ञा के बारे में जानेगे।  हम को पता नहीं होने के कारण इसमें बहुत सारी गलतिया करते है।  हम हिन्दी व्याकरण को बहुत ही हलके में लेते है, पर हम जितना इनको हल्का समझते है उतना ये है नहीं।  इस कारण से मै अपनी अलग -अलग पोस्ट के माध्यम से आपको हिन्दी के व्याकरण के बारेमे बताऊंगा।  अगर आपको मेरी जानकारी अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ इस जानकारी को शेर कर सकतेहो। 



संज्ञा (Noun )

परिभाषा :- संज्ञा को 'नाम' भी कहा जाता है।  किसी प्राणी, वस्तु , स्थान, भाव आदि का 'नाम' ही उसकी संज्ञा कही जाती है। दूसरे शब्दों में किसी का नाम ही उसकी संज्ञा है तथा इस नाम से ही उसे पहचाना जाता है संज्ञा न हो तो पहचान अधूरी है और भाषा का प्रयोग भी बिना संज्ञा के संभव नहीं है। 

 

*संज्ञा के प्रकार : संज्ञा तीन प्रकार की होती है -

(१ ) व्यक्तिवाचक संज्ञा

(२ ) जातिवाचक संज्ञा ,

(३ ) भाववाचक संज्ञा 

 

(१ ) व्यक्तिवाचक संज्ञा(Proper Noun ):-

     जो किसी व्यक्ति स्थान या वस्तु का बोध कराती है। 

            जैसे- राम,गंगा, पटना आदि। 

 

(२ ) जातिवाचक संज्ञा(Common Noun ):-

    जो संज्ञा किसी जाती (समूह ) का बोध कराती है , वे जातिवाचक संज्ञा कही जाती है। 

       जैसे - नदी , पर्वत , लड़की आदि। 

  'नदी ' जातिवाचक संज्ञा है क्योंकि यह सभी नदियों का बोध कराती है किन्तु गंगा एक विशेष नदी का नाम है इसलिए गंगा व्यक्तिवाचक संज्ञा है। 

 

 

  (i ) द्रव्यवाचक संज्ञा :- 

 

        जिस संज्ञा शब्द से उस सामग्री या पदार्थ का बोध होता है जिससे कोई वस्तु बनी है। 

       जैसे - सोना, चाँदी , ताँबा , लोहा, उन आदि। 

 

 

 (ii ) समूहवाचक संज्ञा :- 

 

        जो संज्ञा शब्द किसी एक व्यक्ति का वाचक न होकर समूह / समुदाय का वाचक है। 

        जैसे - वर्ग, टीम, सभा, समिति, परिवार, पुलिस, सेना आदि। 

 

 

(३ )भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun ):-

 

       किसी भाव, गुण, दशा आदि का ज्ञान कराने वाले शब्द भाववाचक संज्ञा होते है। 

       जैसे- क्रोध, मिठास, यौवन, कालिमा आदि। 

   

भाववाचक संज्ञा  का निर्माण जातिवाचक संज्ञा शब्दों से , सर्वनाम से , विशेषण से तथा अव्यय से किया जा सकता है। 

 

 

*संज्ञा का पद - परिचय (Parsing of Noun ):-


  वाक्य में प्रयुक्त शब्दों का पद परिचय देते समय संज्ञा, उसका भेद, लिंग, वचन, कारक एवं अन्य पदों से उसका संबध बताना चाहिए। 

 

उदाहरण :- राम ने रावण को बाण से मारा। 

१. राम - संज्ञा , व्यक्तिवाचक, पुलिंग, एकवचन, करता, कारक, 'मारा' क्रिया का करता। 

२. रावण - संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुलिंग, एकवचन, कर्म कारक, 'मारा' क्रिया का कर्म। 

३. बाण - संज्ञा , जातिवाचक, पुलिंग, एकवचन, कारण कारक 'मारा' क्रिया का साधन। 

   

    पद परिचय में वाक्य के प्रत्येक पद को अलग-अलग करके उसका व्याकरणिक स्वरूप बताते हुए अन्य पदों से उसका संबंध बताना पड़ता है।  इसे अन्वय भी कहते है। 

 

 * संज्ञा का रूप परिवर्त लिंग, वचन, कारक के अनुरूप होता है, अतः इन पर भी विचार करना आवश्यक है।

 

 

विशेष 

आप सभी से अनुरोध है , की हिन्दी व्याकरण की जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहिये। 

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