मॉण्टेसरी के शैक्षिक विचार-सिद्धांत/ Montessori Educational Thoughts

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    जीवन परिचय/ Life Introduction

 

मारिया मोंटेसरी का जन्म सन् 1870 में हुआ।

मोंटेसरी ने पिछड़े हुवे बालकों की शिक्षा के लिए एक विशिष्ट शिक्षा पद्धति को जन्म दिया जिसे मोंटेसारी पद्धति कहा जाता है। इस पद्धति से पिछड़े बालकों के आश्चर्य जनक विकास हुआ।

मारिया मोंटेसरी इटली की पहली महिला डॉक्टर थी।

सन् 1952 में इनका निधन हो गया।

 

 

मारिया मोंटेसरी की प्रमुख रचनाएं/ Major Compositions

 

*Education for a new world

*Child Training

*The Montessori Method

*What you can know about your child

*The secret of Childhood

*The Discovery of Child

*The Advance Montessori Method

 

 

मोंटेसरि के  शिक्षा सिद्धांत/Educatinol Principles of Montessori

 

रुसो, फ्रोबेल एवम् पेस्टालोजी के शैक्षिक विचारो का प्रभाव मोंटेसरी पर अधिक पड़ा।

मोंटेसरी के शिक्षण सिद्धांत निम्न है -

 

1.आत्म - शिक्षा (Self Education)-  मोंटेसरी के अनुसार सीखना मनुष्य की जन्मजात प्रवृत्ति है। सच्ची शिक्षा वहीं है जिसमें बालक अपनी आवश्यकता अनुसार सीखता है।

 

2. व्यक्तिकता का विकास (Devlopment of Individual)- मोंटेसरी के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य बालक का वेयक्तिक विकास करना है।

 

3. ज्ञानेंद्रियों का प्रशिक्षण (Traning of Sense)- बालक को ज्ञानेंद्रियों की शिक्षा अवश्य देनी चाहिए अन्यथा सामान्य बुद्धि का बालक मंदबुद्धि का बन सकता है। ज्ञानेंद्रियों को प्रशिक्षित करके बौद्धिक विकास किया जा सकता है। 3 वर्ष से 7 वर्ष की आयु के मध्य ज्ञानेंद्रियों विशेष रूप से क्रियाशील रहती है।

 

4. करमेंद्रियो की शिक्षा (Education about Actions)- यदि बालक मांशपेशियों के नियंत्रण की क्षमता प्राप्त कर लेता है तो उसमें आत्मनिर्भरता आ जाती है।

 

5. स्वतंत्रता का सिद्धांत (Principle of Freedom)- मोंटेसरी के अनुसार यदि बालक स्वतंत्र वातावरण में शिक्षा ग्रहण करेगा तो उसमे स्वावलंबन, आत्मविश्वास और आत्म - सम्मान आदि गुणों का विकास होगा।

 

6.खेल द्वारा शिक्षा (Education through Play)- मोंटेसरीने शिक्षा पद्धति में खेल द्वारा शिक्षा सिद्धांत को स्थान दिया है। बालक को अगर शैक्षिक यंत्र दे दिए जाएं तो वे रुचि के साथ खेलते है। इन यंत्रों के माध्यम से बालक वर्णमाला, गणित, सभी वस्तुओं, पशुओं और पक्षियों को पहचानना उनके नाम आदि सब सीख लेते है।

 

7. व्यक्तिगत आधार पर शिक्षा(Education on Individual Basis)- मोंटेसरी व्यक्तिगत आधार पर शिक्षा देने के पक्ष में है।

 

 

मोंटेसरि के  शिक्षा सिद्धांत

 

मॉण्टेसरी के शैक्षिक विचार/ Montessori Educational Thoughts

 

शिक्षा का अर्थ शिशु के जीवन को सामान्य रूप से विकसित होने में सक्रिय सहायता देना ही शिक्षा है |

 

By education must be understood the active help given to the normal expansion of the life of child.

 

 

शिक्षा के उद्देश्य/ Aims of Education

 

1. मोंटेसरी के अनुसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश करके बालक की ज्ञानेंद्रियों तथा कर्मेंद्रियो के विकास में सहायता देना है।

 

2. बालक में समायोजन की क्षमता विकसित करना।

 

3. बालकों का शारीरिक, मानसिक, नैतिक व सामाजिक विकास करना है।

 

4. बालकों को भावी जीवन के लिऐ तेयार करना।

 

 

मोंटेसरी शिक्षा पद्धति/ Montessori Method of Teaching

 

मोंटेसरी की शिक्षा पद्धति निम्न तीन बातों पर निर्भर करती है -

1. कर्मेंद्रियों की शिक्षा

2. ज्ञानेंद्रियों की शिक्षा

3. भाषा की शिक्षा

 

 

1. कर्मेंद्रियों की शिक्षा(Motor Education)-  मोंटेसरी की शिक्षा प्रणाली में मांशपेशियों को सुदृढ़ किया जाता है। बच्चो को अपना काम आप करने के लिऐ प्रोत्साहित किया जाता है। बच्चो को स्कूल की सफाई करने, स्नान करने, बाल बनाने, खाना खाने, खाना परोसने, फर्नीचर साफ करने और उसे अपने बर्तन साफ करने के अवसर दिए जाते है। इससे वह अपने अंगों को प्रशिक्षित कर लेता है और अपने कार्य स्वयं करना सीख जाता है।

 

 

2. ज्ञानेंद्रियों की शिक्षा(Education of Sensory Organs)- मोंटेसरी ज्ञानेंद्रियों के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न उपकरणों का सहारा लेती है। मोंटेसरी का कथन है - शिक्षण विधि में इन्द्रियों की शिक्षा का निश्चय रूप से अधिक महत्व होना चाहिए। मोंटेसरी प्रणाली में भिन्न - भिन्न ज्ञानेंद्रियों के प्रशिक्षण के लिए भिन्न - भिन्न उपकरणों का निर्माण किया गया - श्रवण - इन्द्रिय (Hearing Sense) को विकसित करने के लिए सुगंध के पदार्थो से भरी बोतले दी जाती है, चक्षुइंद्रिय (Sight Sense) को विकसित करने के लिए भिन्न - भिन्न रंगो की टिकिया दी जाती है, स्परशेंद्रिय (Touch Sense) को विकसित करने के लिए खुरदरी, चिकने, मलमली, ऊनी रुमालों से भरा एक डिब्बा दिया जाता है। सवादेंद्रिय को प्रशिक्षित करने के लिए नमक, चीनी, चाय आदि की शीशियां दी जाती है।

 

3. भाषा का ज्ञान (Knowledge of Language)-   इस संदर्भ में मोंटेसरी के सिद्धांत यह है कि बालक को पहले सीखना चाहिए उसके बाद पढ़ना।

 

 

मॉण्टेसरी विद्यालय/ Montessori School 

 

मॉण्टेसरी विद्यालय में 3 से 7 वर्ष तक के बालक शिक्षा ग्रहण करते है। बालक खेल द्वारा शिक्षा ग्रहण करते है। विद्यालय में एक बड़ा कमरा और कई छोटे छोटे कमरे होते है। बड़ा कमरा सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर खेलने या शिक्षा प्राप्त करने के लिए होता है। छोटे कमरे बैठने, सोने, नहाने, व्यायाम करने के लिए होते है। विद्यालय में एक सुंदर बगीचा भी होता है जिसमें बालक घूम फिर सकते है। इन स्कूलों में घर जैसा प्रेम का वातावरण होता है, जिसमें बालक बंधनमुक्त स्वाभाविक ढंग से शिक्षा प्राप्त कर सकता है।

 

 

मॉण्टेसरी के अनुसार पाठ्यक्रम /Curriculum According to Montessori 

 

1 तीन से छः वर्ष तक के बच्चों के लिए पाठ्यक्रम 

 

2 लचीले व मनोवैज्ञानिक पाठ्यक्रम का निर्माण 

 

3 वातावरण की महत्ता 

 

4 पाठ्यक्रम का व्यक्तिगत आधार 

 

5 व्यवहारिक जीवन का अभ्यास 

 

6 कर्मेन्द्रियों की शिक्षा 

 

7 ज्ञानेन्द्रियों की शिक्षा 

 

8 भाषा की शिक्षा 

 

9 अन्य विषय

 

 

 

शिक्षक/Teacher 

 

शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक व प्राकृतिक विकास है। मॉण्टेसरी के अनुसार शिक्षा में बालक का प्रमुख स्थान है शिक्षक का गौण | मॉण्टेसरी ने शिक्षक के स्थान पर एक शिक्षिका को चुना। मॉण्टेसरी विद्यालय में निर्देशक के रूप में एक शिक्षिका को चुना जाता है। मॉण्टेसरी की पद्धति के लिए उन शिक्षकों की नियुक्ति की आवश्यकता है जिन्हें बालमनोविज्ञान की शिक्षा तथा छोटे बच्चों पर प्रयोग करने का प्रशिक्षण मिला हो ।

 

 

मॉण्टेसरी तथा किण्डरगार्टन पद्धति की तुलना /Comparison between Montessori and Kindergarten Method 

 

समानता 

 

*दोनों ने शिशु शिक्षा (3 से 7 वर्ष) को अपना ध्येय माना ।

*दोनों पद्धतियों में बालक की आन्तरिक शक्तियों के विकास पर बल दिया गया है। 

 

*दोनों पद्धतियों में बालक की स्वतंत्रता पर बल दिया गया है।

*दोनों पद्धतियों में शिक्षा विकास हेतु साधन के रूप में अपनायी गयी है। 

 

 

असमानता 

 

* मॉण्टेसरी विधि में शैक्षिक उपकरण के बिना कार्य नही होता परंतु किण्डगार्टन में उपहार के बिना कार्य हो जाता है।

* मॉण्टेसरी पहले लिखना सिखाया जाता है परंतु किण्डरगार्टन में पहले पढ़ना सिखाया जाता है। * मॉण्टेसरी बालक के व्यक्तिकता के विकास पर बल देती है, जबकि फ्रोबेल बालक के सामाजिकता के विकास पर बल देते 

 

* मॉण्टेसरी ने खेलो की अपेक्षा व्यायाम पर बल दिया है जबकि फ्रोबेल की शिक्षा पद्धति में खेलों का प्रमुख स्थान है।

 

 

 

मॉण्टेसरी पद्धत्ति के गुण/Merits of Montessori Method 

 

वैयक्तिक शिक्षा पर ध्यान दिया जाता है। 

 

बालकों में प्रेम, मित्रता, सदभावना तथा अनुशासन की भावना का विकास किया जाता है। 

 

मॉण्टेसरी प्रणाली में वर्गभेद की भावना को हटाया जाता है। 

 

इस प्रणाली में स्वशिक्षा को लाने का श्रेय दिया जाता है। 

 

यह प्रणाली ज्ञानेन्द्रियों की शिक्षा पर बल देती है। 

 

मॉण्टेसरी के अनुसार स्कूलों में दण्ड एवं पुरस्कार का विधान नहीं होना चाहिए 

 

 

 
मॉण्टेसरी पद्धति के दोष

 

इस पद्धति में यथार्थ सामाजिकता का अभाव है। 

 

मॉण्टेसरी पहले लिखना सीखना चाहती है यह विवादास्पद है । 

 

इस पद्धति में बालकों के बौद्धिक विकास पर कम बल दिया जाता है। 

 

हेसन के अनुसार, मॉण्टेसरी पद्धति में खेल के वास्तविक सिद्धान्त का अभाव है।


मांटेसरी का बच्चों का स्वयं सीखने का सिद्धान्त उत्तम है। पर इसे सभी विषयों पर लागू नहीं किया जा सकता है। साथ ही यह बहुत अधिक समय ले सकता है।




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