what is attraction| what is Attachment?

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what is attraction


Pyaar or Attachment mai fark kya hai.?


    आज हम Attachment की बात करेंगे। बहोत सारे लोगो को यह पता नही होता। पर एक दूसरे से अलग होते है, तभी पता चलता है, की यह प्यार है कि Attachment है।



    एक लड़का और एक लड़की दोनो एक दूसरे के साथ Attach थे। और वह दोनों अलग हो गये तो जो फिलिंग आ रही है दोनो के बीचमे लड़का या फिर लड़की हो। आज हम इसी के बारे में बात करेंगे।


  

जब आप किसी रिलेशनशिपमे आते हो। आजकल हर कोई एक दूसरे के करीब आता है। और वह लोग उनको ही प्यार समज लेते है। पर बहोत सी सिचवेशन ऐसी आती है, की आप समझ सकते है कि ये प्यार है या फिर अटेचमेंट है। मेरी बात से हर कोई एग्री हो यह जरूरी नही है। में सिर्फ अपनी तरफ से बात कर रहा हूं।



   जब आप किसी से सच्चा प्यार करते हो, तब दूर जाने से आपको डर लगता है। जैसे कि हम उनसे दूर हो जाएंगे तो मेरा क्या होगा। हम उनके बगैर कैसे जी पाएंगे। हम उनके बगैर नही रह सकते, पागल हो जाएंगे। उनके बगैर जीनेका सोच भी नही सकते। ये वाली जो फिलिंग है ना ये शायद प्यार है।



  जब हम किसी से Attach हो जाते है, वो Attachment की फिलिंग क्या होती है, वही हम आज जानेंगे। शायद आप समझ सको की आपका प्यार था कि Attach थे।



   जब किसी के साथ रिलेशनशिपमे आते हो या फिर Attach होते हो, तब आप ओवर पजेशिव हो जाते हो। जब हम किसी की फिक्र करते है, तो जाहिर सी बात है, पजेशिव होना बहोत ही नेचरल है। जब हम किसी के बारे में ओवर पजेशिव हो जाते है, तब हम उसके साथ Attach है।



   जब हम प्यार करते है, तब हमें विश्वास आ जाता है। रिलेशनशिपमे एक ट्रस्ट आ जाता है। हम भरोसा करने लगते है। उस सिचवेशनमे पजेशिवनेस या फिर ओवर थिंकिंग ये सारी जो चीजे है वो रिलेशनशिप में नही आती है। आप ट्रस्ट करते हो तो आपके साथ वह भी भरोसा बनाये रखते है। इस सिचवेशनमे पजेशिवनेस इतना मेटर नही करता।

what is Attachment?



   पर जब आप प्यार में पड़ते हो। जब आप दोनों के बीच सच्चा प्यार होता है। उस सिचवेशन पे सिर्फ केर ओर फिक्र ही रहती है। उस सिचवेशनमे ना तो पजेशिवनेस काम आती है, ना ओवर थिंकिंग, ना ही आप उसके बारेमे गलत सोच ही नही सकते। आपके दिमाग मे उसके बारे में गलत आ ही नही सकता। उल्टा जब आपको कोई कहता है उसके बारे में तो आपके मन मे जो कहता है उसी पर गुस्सा आता है।



    पजेशिवनेस में ये सारी बाते नही आती है। पजेशिवनेस में यह होता है कि ये सारी बाते कोई कहे तो आप कहोगे सचमे, वो ऐसा है/ऐसी है, तुम सच कह रहे हो। ये जो चीजे होती है, वह Attachment में आती है।



रोक-टोक ये तभी आता है, जब आप Attach हो, सिर्फ एक-दूसरे के साथ हो। आप मेंटली साथ जुड़े नही हो, पर फिज़िकल साथ मे जुड़े हो। ये जो एक है ये सिर्फ Attachment में होता है।



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डेटिंग हो गई, एक दूसरे के साथ मिल लिया, पसंद आ गये बस तुम मेरी गर्ल फ्रेंड, में तुम्हारा बॉय फ्रेंड हूँ। हो गये दोनो Attach। पर ये प्यार नही है।


   प्यार वह होता है, जिस्से देखकर ही लगे कि काश मेरी वाइफ या फिर मेरा पति, मेरा बॉय फ्रेंड होता। ये जो फिलिंग है ये प्यार की फिलिंग है। और प्यार की जो फिलिंग है उसमें ये सब नही आता कि ऐसा नही करना है, वैसा नही करना है। अकेले नही जाना, जंहाभी जावो मेरे साथ जावो। में लेके जाऊंगा या जाऊंगी। ये जो सारी बाते है, उसके साथ नही जाना है, दोस्तो के साथ नही जाना है। ये जो सारी चीजें है ये Attachment की निशानी है। ये सच्चे प्यार की निशानी नही है।




   सच्चे प्यार में मम्मी-पापा के साथ जा रहे हो ठीक है फोन कर देना जब वापस आ जावो। दोस्तो के साथ जा रहे हो कही भी जावो ख्याल रखना। सेफ्टी मेंटेन करना हंमेशा अपना ध्यान रखना। ये प्यार है। सच्चे प्यार में सिर्फ एडवाइज होती है। प्रतिबंध नही होता। सच्चे प्यार में आप सिर्फ उसे ऐडवाईझ करते हो ऐसा करना है। ऐसा नही करना है। ऐसा करोगे तो तुम्हारे लीये अच्छा है। आप सिर्फ उसे बता रहे हो। मानना या फिर नही मानना उसके ऊपर डिपेंड करता है। वो भी सच्चा प्यार करते है तो आपकी बात अच्छी लगी तो जरूर मानेगे। जिस बातको आपने सिर्फ उन्हें बताया है। ये सब सच्चा प्यार में होता है।

  

  जो Attachment है उसमें सिर्फ और सिर्फ प्रतिबंध होता है। अगर वो छोड़ के चली गई या फिर चला गया उसे बांध कर रखूं। सच्चे प्यार में ये सब नही होता।



   जो लोग एक दूसरे के साथ सिर्फ Attach होते है उन्हें उस रिलेशनशिप पर ओवर एटीट्यूड होता है। एटीट्यूड एक अच्छी बात है, वो सिर्फ सेल्फ एटीट्यूड की बात है। जो लोग सिर्फ Attachment में होते है उनमें एक अलग ही एटीट्यूड होता है। जैसे में क्यों करू, में क्यों जाऊ, में क्यों कोल करू, में क्यों मेसेज करू, में क्यों झुक जाऊ ये जो चीज है सिर्फ और सिर्फ Attachment में होती है। जो सच्चा प्यार करते है एक दूसरे से वो क्या करते है, अपना ही तो है, झुक जाऊंगी तो क्या गलत होगा। उसकी गलती है ठीक है माफ करदिया। मेरी गलती है मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ दुबारा नही होगी। ये सब चीज सच्चे प्यार में होती है। दोनो एक दूसरे के फिलिंग को समझते है। एक दूसरे को समझते है और ये समझते है कि झुकने में कोई बुराई नही है। वही झुकते है जो कदर करते है। में यह नही कहता कि हर बार झुकना जरूरी है। पर किसी न किसी को झुकना जरूरी है। और ये जो सच्चा वाला प्यार है उसमें कोई न कोई जरूर झुकता है, नही तो रिलेशनशिप आगे नही बढ़ती।


   जो Attachment है उसमें दोनो ही यह करते है कि में नही झुकूंगा, में नही झुकूंगी। ये जो Attachment है ये तीन-चार महीनोबाद खत्म हो जाता है।


   जो Attach होते है उनमें फिजिकल जो भूख होती है एक दूसरे के साथ फिजिकल होने की ये बढ़ती रहती है दिनबदिन। थोड़ी थोड़ी आगे बढ़ती ही रहती है और वो लोग बहोत ही आगे बढ़ जाते है। क्योंकि वो दोनों मेंटली जुड़ नही पाते है और फिज़िकली जुड़ाव को ही वो लोग प्यार समझते है। जो लोग एक दूसरे के लिए सच्ची फाइलिंग को बनाते है वो एक दूसरे की स्माइल को देखकर खुश हो जाते है। कभी अगर किसी भी इमोशनल या फिर रोमेंटिक टाइम पे एक दूसरे के माथे पर किस करते है, उनसे ही उन्हें मेंटल सेटिस्फेक्शन मिलता है।और ये चीज कभी भी Attachment में नही हो सकती, ये सिर्फ और सिर्फ सच्चे प्यार में होता है। जब कोई किसी रिलेशनशिपमे Attach होता है तब दूर जानेका डर ये सब चीज उतना मेटर नही करता है। चलो जबतक साथ है तब तक तो अपना काम कर लेते है, ये सारी चीजें उनके दिमाग मे आती है।



  यह सारी बाते सच्चे प्यार ओर Attachment में होता है, जो दोनो में फर्क दिखा देता है।

  आपको मेरी ये पोस्ट केसी लगी कॉमेंट करके जरूर हमे बताएगा, क्योकि आपकी हर एक कॉमेंट हमारे लिये बहोत ही महत्वपूर्ण है। हमे आपकी कमेंट मोटिवेट करती है, पोस्ट लिखने में इस लिए कॉमेंट करके जरूर बताएगा।


||धन्यवाद||

 

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